एक और सत्याग्रह
है यह जनता का सत्याग्रह, मत कम आँको इस आगाज़ को,
बण्डल दबाये, सोना दबाया, क्या दबा सकोगे इस आवाज़ को ?
पड़ोस का कम-अक्ल नेता भी, शहर का सबसे अमीर है,
जो मरता देश के नाम पर, वह आज भी फकीर है |
बेच खाया देश को नेताओं ने, की देश के इज्जत की भी परवाह नहीं,
कॉमनवेल्थ पर हंसी सारी दुनिया, २जी, आदर्श पे भी इनकी आह नहीं |
गैरों को भी घूस का बण्डल दिखा -दिखा, लुटाया देश की लाज को,
है यह जनता का सत्याग्रह, मत कम आँको इस आगाज़ को |
जीत से मदहोश सड़क पर, अट्टहास भारतियों की क्या सुनी नहीं,
न बाँट सकोगे अब धर्म-जाति के नाम पर, मन में यह बात क्या अबतक घुनी नहीं |
कल तक भले थे बंद हम संकीर्णता में, पर प्रश्न है अब आत्म - सम्मान का,
सूरज को चूमता नागरिक कैसे सुने, कि 'यह देश है बेईमान का' |
है उज्जवल भविष्य आगे खड़ा, न लूटने देंगे 'आज' को,
है यह जनता का सत्याग्रह, मत कम आँको इस आगाज़ को |
मिश्र, तुनिशिया, लीबिया, उदाहरण पड़े हैं लाग से,
२१ वीं सदी का यह इंसां है, खेलो न अब तुम आग से |
एक गाँधी का सत्याग्रह ही, कर गया था अंग्रेजों को लहुलुहान
१०० करोड़ 'अन्ना' के साथ हैं, अब लो न सब्र का इम्तहान |
काले अंग्रेजों अब यह सुन लो, दिन ढल गया अब 'राज' को ,
है यह जनता का सत्याग्रह, मत कम आँको इस आगाज़ को |