निफ्टी की दशा-दिशा जो आपको बताई थी 8200 तक जाने की
वह 9-Sept-2014 को 8200 तक जा कर आज आप देखे निफ्टी 7952.5 तक नीचे लूड़क गया
भाव कल की सोचकर चलते हैं...
वह 9-Sept-2014 को 8200 तक जा कर आज आप देखे निफ्टी 7952.5 तक नीचे लूड़क गया
भाव कल की सोचकर चलते हैं...
स्टॉक मार्केट का भूल भुलैये इतना पेचीदा है कि कई बार बडे बडे खिलाडी भी गलती कर के इस में फँस जाते हैं...
लेकिन कल असल में क्या होगा कोई नहीं जानता... कुछ संकेतक इशारा ज़रूर करते हैं...
बाज़ार किस दिशा में जाएगा यह कहना लगभग असंभव है...
लेकिन कल असल में क्या होगा कोई नहीं जानता... कुछ संकेतक इशारा ज़रूर करते हैं...
बाज़ार किस दिशा में जाएगा यह कहना लगभग असंभव है...
देश ही नहीं पूरी दुनिया में सर्वे कराया जाए कि...
बिजनेस न्यूज़ चैनल देखने वाले कितने लोग ट्रेडिंग से कमाते हैं...
तो यकीन मानिए कि नतीजा होगा... कोई नहीं...
बिजनेस न्यूज़ चैनल देखने वाले कितने लोग ट्रेडिंग से कमाते हैं...
तो यकीन मानिए कि नतीजा होगा... कोई नहीं...
शत-प्रतिशत घाटा खाते हैं...
इसका एक कारण यह है कि न्यूज़ जब तक इन चैनलों तक पहुंचती है तब तक वो बेअसर होकर उल्टी दिशा पकड़ चुकी होती है...
इसका एक कारण यह है कि न्यूज़ जब तक इन चैनलों तक पहुंचती है तब तक वो बेअसर होकर उल्टी दिशा पकड़ चुकी होती है...
बाज़ार में बहुत से सौदे न्यौता देकर बुलाते हैं कि आओ हमें झपटकर ले जाओ...
लेकिन ज्यादातर इनके पीछे उस्तादों का फैलाया जाल / ट्रैप होता है जिसमें फंसकर आप अपनी पूंजी गंवा बैठते हैं... !!
लेकिन ज्यादातर इनके पीछे उस्तादों का फैलाया जाल / ट्रैप होता है जिसमें फंसकर आप अपनी पूंजी गंवा बैठते हैं... !!
खासकर तेज़ी के मौजूदा माहौल में वे गारंटी चाहते कि कोई शेयर कितना बढ़ेगा...
बड़े मासूम हैं वो कि नहीं समझते कि बाज़ार में पक्की गारंटी जैसी कोई चीज़ नहीं होती...
बड़े मासूम हैं वो कि नहीं समझते कि बाज़ार में पक्की गारंटी जैसी कोई चीज़ नहीं होती...
यहां रिस्क है जिसे सफलतम ट्रेडर को संभालना पड़ता है...
हमारी सोच यकीनन एक तरफा हो सकती है.... लेकिन बाज़ार कभी एक तरफा नहीं होता....
हमारी सोच यकीनन एक तरफा हो सकती है.... लेकिन बाज़ार कभी एक तरफा नहीं होता....
हम जब कोई शेयर खरीदने की सोचते हैं...
तभी किसी को लगता है कि यह अब और नहीं बढ़ेगा...
इसलिए इसे बेच देना चाहिए....
तभी किसी को लगता है कि यह अब और नहीं बढ़ेगा...
इसलिए इसे बेच देना चाहिए....
इसी तरह बेचने वक्त भी सामने कोई न कोई खरीदार रहता है...
शेयरों की ट्रेडिंग में या तो आप जीतते हैं या हारते हैं...
यहां जीत-हार के बीच की कोई चीज़ नहीं होती....
शेयरों की ट्रेडिंग में या तो आप जीतते हैं या हारते हैं...
यहां जीत-हार के बीच की कोई चीज़ नहीं होती....
"जिसने कमाया, बाज़ी उसकी"
कभी-कभी नहीं अक्सर हम इधर-उधर की चंद सूचनाओं के चलते....
या मन से किसी शेयर के बारे में धारणा बना लेते हैं कि वो बढ़ेगा / घटेगा...
या मन से किसी शेयर के बारे में धारणा बना लेते हैं कि वो बढ़ेगा / घटेगा...
फिर उसके भावों का चार्ट देखते हैं...
कोई न कोई आकृति कोई न कोई इंडीकेटर हमारी पुष्टि करता दिख जाता है.... दांव लगा बैठते हैं...
कोई न कोई आकृति कोई न कोई इंडीकेटर हमारी पुष्टि करता दिख जाता है.... दांव लगा बैठते हैं...
शेयर हमारे माफिक चला तो खुश नहीं तो सारा दोष किस्मत का...
सरासर गलत तरीका... जो है उसे देखिए... अपनी धारणा मत थोपिए... !!
सरासर गलत तरीका... जो है उसे देखिए... अपनी धारणा मत थोपिए... !!
जिस तरह कुशल पहलवान विरोधी को धूल चटाने के लिए इस्तेमाल करता है...
उसी तरह बाज़ार ट्रेडर की हर छिपी कमज़ोरी का इस्तेमाल उसे पटखनी देने के लिए करता है...
लालची ट्रेडर अपनी औकात से कहीं ज्यादा बड़ी खरीद से पिटते हैं...
डरपोक ट्रेडर जीतती बाज़ी तक छोड़कर भाग निकलते हैं...
वहीं आलसी ट्रेडर बाज़ार के पसंदीदा शिकार हैं... वो उन्हें अपनी तेज़ी से मारता है...
इंसान की फितरत है कि वो हमेशा सही होना चाहता है गलत होने से घनघोर घृणा करता है...
लेकिन यह फितरत ट्रेडिंग और निवेश की दुनिया में नहीं चलती...
यहां का अकाट्य सत्य है कि नुकसान हर किसी को उठाना पड़ेगा... काम बड़ा दुश्कर है...
उसी तरह बाज़ार ट्रेडर की हर छिपी कमज़ोरी का इस्तेमाल उसे पटखनी देने के लिए करता है...
लालची ट्रेडर अपनी औकात से कहीं ज्यादा बड़ी खरीद से पिटते हैं...
डरपोक ट्रेडर जीतती बाज़ी तक छोड़कर भाग निकलते हैं...
वहीं आलसी ट्रेडर बाज़ार के पसंदीदा शिकार हैं... वो उन्हें अपनी तेज़ी से मारता है...
इंसान की फितरत है कि वो हमेशा सही होना चाहता है गलत होने से घनघोर घृणा करता है...
लेकिन यह फितरत ट्रेडिंग और निवेश की दुनिया में नहीं चलती...
यहां का अकाट्य सत्य है कि नुकसान हर किसी को उठाना पड़ेगा... काम बड़ा दुश्कर है...
ट्रेडिंग में चार ही बातें हो सकती हैं...
बड़ा लाभ, छोटा लाभ, बड़ा नुकसान, छोटा नुकसान...
इसमें हमें बस बड़े नुकसान से बचने का तरीका खोजना है...
यहां जीत-हार के बीच की कोई चीज़ नहीं होती....
यहां जीत-हार के बीच की कोई चीज़ नहीं होती....
"जिसने कमाया, बाज़ी उसकी"
बाकी तो वक्त का फेरा है... !!
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